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चाय या कॉफी


चाय या कॉफी भाग --१९


रात तक आरती का रेजिग्नेशन लेटर सुबोध तक नहीं पहुंचा था।
दूर दिन सुबह सुबह सुबोध ने फोन किया और आरती से पूछा
,,आरती तुम्हारा रेजिग्नेशन लेटर क्यों नहीं आया है?,,
,,ओह.. मैं भूल गई थी..सर..वो..!,आरती ने सारी बातें बता दिया।

,,ओह टू सैड.. प्लीज टेक केयर ऑफ योर अंकल।

,, यस सर ...!,,आरती नेमरी सी आवाज में कहा और अपने काम में लग गई।

 वह सोच रही थी कि उसने सिम्मी को जॉब में लगा दिया और आज उसके खुद के पास जॉब नहीं है।

आरती ने चाय और टोस्ट लाकर अपनी मासी को जबरन नाश्ता कराया ।

मासाजी आईसीयू में थे।
 डॉक्टर के निगरानी मे।कोई अंदर नहीं जा सकता था।
 सब कोई चुपचाप बैठे मासाजी के खतरे से बाहर आने का इंतजार कर रहे थे।


 तभी बाहर से लिया की बड़ी बहन सबीता  आई। आते ही उसने अपनी मां को गले से लगा लिया और दिलासा देने लगी।

,, मां सब ठीक होगा चिंता ना करो। लिया भी वहां थी ।उसे भीअपने गले से लगा लिया।,,

 थोड़ी देर बाद सविता ने आरती और लिया दोनों को किनारे बुलाया।
 उसने किनारे ले जाकर लिया को एक थप्पड़ लगाया और कहा
,, तुम्हारी यह तस्वीर सड़क के किनारे  लगे सारे होर्डिंग्स में क्यों है ?वह भी सिर्फ बाथरूम वेयर में!,,
लिया--,, ओ दी..!,मैंने एक मल्टीनेशनल कंपनी की ब्रांड एंबेसडर हूँ।,,

सबीता--व्हाट...!,मैं यह सब सुनना नहीं चाहती लिया। घर की बदनामी मत करो।कोई चिड़िया तो नहीं हो कि आसमान में उड़ रही हो।,,

लिया-- ,,दी,मुझे उन्होंने बड़ी रकम दी है।वो लोग बॉलीवुड में भी कोशिश कर रहे हैं। यदि वहां सक्सेसफुल हो गए तो मैं वहां भी हीरोइन प्ले करूंगी।,,
 सविता गुस्से से बौखलाते  हुए बोली 

,,और कोई काम नहीं रह गया तुझे। होटल मैनेजमेंट करने गई थी तो फिर यह काम कहां से शुरू कर दी तुमने।,,

 उधर से गुजर रही नर्स ने उनको टोकते हुए कहा
,, यहां पर पेशेंट्स हैं प्लीज शाउट मत कीजिए।,,

तभी एक दूसरी नर्स वहां तेजी से आई।हड़बड़ाहट में  बोली 
,,यहां आरती कौन है ?,,

आरती ने कहा
,, मैं हूँ ।क्या बात है ?,,

नर्स उससे कहा 
आपके पेशेंट सीरियस कंडीशन में आ गए हैं।,,

 सबीता, आरती और लिया तीनों ही हड़बड़ा वापस भागे ।

डॉक्टरों ने उन्हें फिर से एडमिट कर लिया था ।मौसा जी की हालत फिर से सीरियस हो गई थी।

एक  डॉक्टर वहां आया । उसने आरती को कहा
मिस आरती, आप जरा मेरे केबिन में आईए ।,,

 आरती बोली--,, क्यों डॉक्टर?,, 

डॉक्टर ने कहा मीडल फ्लोर-- रूम नंबर 4 मैं आपका इंतजार कर रहा हूं।,,

 आरती सविता को मासी के पास छोड़कर सेकंड फ्लोर रूम नंबर 4 में पहुंच गई ।

,,मे आई कम इन सर..!,, आरती ने कहा ।

डॉक्टर ने कहा यस आरती प्लीज।
 ,, प्लीज टेक योर सीट ।,,उसने हाथ से इशारा करते हुए कहा ।
आरती बैठ गई ।डॉक्टर ने सारी फाइल उसके सामने खोल दिया और कहा
,, तुम्हारे मासाजी काफी सीरियस हालत में है  । स्टोन ब्लास्ट कर गया था जिसके कारण उसके प्वाइजन हार्ट  तक पहुंच गया है।

 हमें ऑपरेशन करना पड़ेगा ।₹500000 डिपाजिट कर दीजिए हो सकता है कि इससे भी ज्यादा और खर्च करना पड़े क्योंकि सारी फैसिलिटी हमारे यहां नहीं है।,,

 आरती चुप हो गई वह की स्थिति में नहीं थी। उसने कहा मैंने पाँच लाख रूपये ऑल लेडी जमा कर दिए थे।

 डॉक्टर-- ,, इतने बड़े ऑपरेशन में पाँच लाख रूपये तो  खर्च होंगे ही।
अब यह दूसरी बार ऑपरेशन करने हैं तो उतने ही पैसे और लगेंगे बल्कि इस बार और सीरियस कंडीशन है ।,,

 आरती ने कहा 
--,, इतने पैसे हम कहां से आएंगे डॉक्टर ? एक सिंपल स्टोन के ऑपरेशन में  इतना खर्चा आएगा भला?,,

 डॉक्टर ने बहुत रूडली कहा 
,,अगर यहां नहीं ऑपरेशन कराना था तो आप गांव चले जाते क्या मैंने स्टोन ब्लास्ट कराया था।

 इतने दिनों तक आपने क्यों नहीं ऑपरेशन  कराया था।

आरती -- ,,सर ,आपने जो डेट दिया था हम उसी डेट पर तो आएंगे  न।
दो दो बार रुटीन चेकअप करा चुकी हूँ..!,,

डॉ क्टर ने आरती की बातों को काटते हुए कहा

,,लेट मी ,मिस आरती, मैंने आपको बस इन्फॉर्म किया कि पाँच लाख रूपयो का अरेजमेंट कर लें। आज के आज।
 
आरती की हालत सांप छछूंदर वाली हो गई थी। कदमों से वह थके हारे कदमों से ऊपर पहुंची तो सविता ने उसे घेर लिया।
 उसने कहा 
,,डॉक्टर क्या बोल रहा था?,,

 आरती ने कहा 
,,फिर से पाँच लाख रूपये जमा करने को कहा है।

 सविता --,,फिर से पाँच लाख।?,,

 ,,अब क्या कोई उपाय तो है नहीं दी।
पाँच लाख रूपये तो  अरेंज तो करनी ही पड़ेगी।,,

 सविता --,,इतने पैसे तो मैं भी नहीं लेकर आई हूं। आरती जितने हैं मैं जोड़ देती हूं मुश्किल से ₹दो लाख रुपये होंगे।,,

 आरती--,, मैं भी देखती हूं अपने फिक्स डिपाजिट तोड़कर उसमें से भी दो ढाई लाख रुपए निकल जाएंगे। फिर किसी से उधार ले लेती हूं।,,

 आरती ने फटाफट सब को फोन किया सब ने मिलकर पाँच लाख रुपये फिर से जमा कर लिए तो आरती ने उसे कैश काउंटर में जाकर जमा कर दिया ।

अब ऑपरेशन शुरू  हो चुका था ।आरती फ्रस्ट्रेटेड हो चुकी थी ।अब उसे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था ।

एक तो उसके घर का होम लोन चल रहा था उसके बाद उसकी नौकरी छूट गई थी ।

 उसपर उसकी  सारी जमा पूंजी भी  निकल गई थी।
 बल्कि उसके सिर पर अब एक उधार चढ़ चुका था।

 डिप्रेशन में जाकर अस्पताल में बने भगवान जी की मूर्ति के सामने खड़ी हो गई ।किसी ने अगरबत्ती जलाया था उसकी सुगंध उस पूरे कॉरिडोर में फैली हुई थी ।
आरती अपनी आंखें बंद कर चुपचाप उसको महसूस करने लगी ।

पीछे से किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा ।
 
***
क्रमशः☺️
सीमा..✍️🌷
©®
 

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5 Comments

बहुत बढ़िया 💐

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Chetna swrnkar

17-Aug-2022 05:55 PM

बेहतरीन रचना

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Raziya bano

17-Aug-2022 09:15 AM

Bahut khub

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